ll राधा कृष्ण की प्रथम मिलन ll
अनेक शास्त्रों, पुराणों, उपनिषदों में योगिराज श्री कृष्ण एवं राधा जी के बारे में विधिपूर्वक वर्णन है किन्तु ब्रह्मवैवर्त पुराण में यह बताया गया है कि राधा और कृष्ण का प्रेम इस लोक का नहीं बल्कि पारलौक था. सृष्टि के आरंभ से और सृष्टि के अंत होने के बाद भी दोनों नित्य गोलोक में वास करते हैं । श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम मानवी रुप में था और इस रुप में इनके मिलन और प्रेम की शुरुआत की बड़ी ही रोचक कथा है। एक कथा के अनुसार देवी राधा और श्री कृष्ण की पहली मुलाकात उस समय हुई थी जब देवी राधा ग्यारह माह की थी और भगवान श्री कृष्ण सिर्फ एक दिन के थे । मौका था श्री कृष्ण का जन्मोत्सव । देवी राधा भगवान श्री कृष्ण से ग्यारह माह बड़े थे और कृष्ण के जन्मोत्सव पर अपनी माता कीर्ति के साथ नंदगांव आए थे जहां श्री कृष्ण पालने में झूल रहे थे और राधा माता की गोद में थी । भगवान श्री कृष्ण और देवी राधा की दूसरी मुलाकात अलौकिक थी । यह उस समय की बात है जब भगवान श्री कृष्ण नन्हे बालक थे । उन दिनों एक बार नंदराय जी बालक श्री कृष्ण को लेकर भांडीर वन से गुजर रहे थे । उसे समय अचानक एक ज्योति प्रकट हुई जो देवी राधा के रुप में दृश्य हो गई। देवी राधा के दर्शन पाकर नंदराय जी आनंदित हो गए। राधा ने कहा कि श्री कृष्ण को उन्हें सौंप दें, नंदराय जी ने श्री कृष्ण को राधा जी की गोद में दे दिया । श्री कृष्ण बाल रूप त्यागकर किशोर बन गए । तभी ब्रह्मा जी भी वहां उपस्थित हुए । ब्रह्मा जी ने कृष्ण का विवाह राधा से करवा दिया । कुछ समय तक कृष्ण राधा के संग इसी वन में रहे । फिर देवी राधा ने कृष्ण को उनके बाल रूप में नंदराय जी को सौंप दिया । नंद गांव से चार मील की दूरी पर बसा है, बरसाना गांव । बरसाना को राधा जी की जन्मस्थली माना जाता है । नंदगांव और बरसाना के बीच में एक गांव है जो 'संकेत' कहलाता है । राधा कृष्ण की लौकिक मुलाकात और प्रेम की शुरुआत संकेत नामक स्थान से माना जाता है । यहीं पर पहली पर भगवान श्री कृष्ण और राधा जी का लौकिक मिलन हुआ था। हर साल राधाष्टमी यानी भाद्र शुक्ल अष्टमी से चतुर्दशी तिथि तक यहां मेला लगता है और राधा कृष्ण के प्रेम को याद कर भक्तगण आनंदित होते हैं । श्री कृष्ण और राधा के पृथ्वी पर प्रकट होने का समय आया तब एक स्थान निश्चित हुआ जहां दोनों का मिलन तय हुआ और इस मिलन स्थान को संकेतिक कहा गया l